मेरी दुर्दशा, क्या करूं?

मेरी जीवन/ज़िंदगी/आत्मा अत्यंत दुखी/पीड़ा पा रहा है/थका हुआ। मेरा हारना/ह्रास/पतन हर जगह दिखाई दे रहा है, और मैं निराश/उदासीन/बेमानी महसूस करता हूँ। मुझे लगता है कि मेरा भविष्य/आने वाला समय/काल अंधेरे में डूबा हुआ है। क्या कोई मुझे ज्ञान/सलाह/उपाय दे सकता है? मैं इस दुःख/अशांति/बेचैनी से कैसे बाहर निकलूं?

मुझे बताइए कि क्या करना चाहिए। मुझे एक रास्ता दिखाओ जिससे मैं यह संघर्ष/दर्द/आहत से मुक्त हो सकूँ।

ऐसा क्यों है मेरे साथ

ये एक ऐसा सवाल है जो हमारे मन में/हमारी आत्मा में/हमारे विचारों में घूमता रहता है। लगातार/बिना रुक के/हर पल यह हमारे दिमाग को चिंतन में डुबो देता है और/हमसे सवाल करता है और/हमें सोचने पर मजबूर करता है क्यों कि हम खुद से/हमारे जीवन में/इस दुनिया में इस तरह का अनुभव कर रहे click here हैं।

यह एक ऐसी यात्रा है जो हमें/एक सफ़र है जो हमें/एक प्रक्रिया है जो हमें अपने अंदर की गहराई तक ले जाती है और/अपनी जड़ों को खोजना सिखाती है और/हमारे अस्तित्व का अर्थ समझने में मदद करती है।

इस कष्ट से मुक्ति, क्या करूँ?

मेरा दिल भारी से भर गया है। इस दर्द से मैं लगातार तक जूझ रहा हूँ। क्या कोई तरीका है जो मुझे उपाय दे? क्या कोई सूचना है जो मुझे इस {कष्ट सेरहाई दिला सके?

आज मेरे दिल में उदासी है

आज मैं हूँ बहुत पछतावा है . मेरे हृदय में कुछ भी खुशियों से भरा नहीं है.

लोग मुझे देखकर कि क्या हुआ है . मैं हूँ बहुत दुःख होता है , लेकिन मैं करूँगा इस दर्द को छिपाना.

मैं क्या करूँ इस स्थिति में

ये तो दिलनिरंतर परेशान करता है. पहलू समझ में नहीं आ रहा है.

ये मुझे बहुत दुख दे रही है.

जान नहीं पढ़ना रहा क्या देखना

यहाँ मेरा मन हो गया है कि क्या कीजिये, लेकिन मुझे भविष्यवाणी नहीं मिल रही. मैं हर तरफ देख रहा हूँ, परन्तु कोई समाधान नजर नहीं आ रहा है.

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